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machanism of sometic hybridization

       कायिक संकरण की क्रियाविधि

[Mechanism of Somatic Hybridization]

कायिक संकरण की क्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है- 
(1) जीवद्रव्यों का पृथक्करण (Isolation of protoplasts),

(2) विलगित जोव का संयुजन (Fusion of isolated protoplasts),

(3) सम्पूर्ण पौधे के पुनर्जनन के लिए संकर जीवद्रव्य का संवर्धन (Culture of hybrid protoplasts to regenerate whole plants) 

(1) जीवद्रव्यों का पृथक्करण (Isolation of Protoplasts)

प्रसिद्ध वैज्ञानिकों गेम्बोर्ग एवं वेटर (Gamborg and Wetter, 1975), पॉवर एवं दवे (Power and Davey, 1979) के अनुसार जीवद्रव्यों का भारी मात्रा में पृथक्करण पादप ऊतकों को उपयुक्त एन्जाइम्स के  घोलों में ऊष्मायन (incubation) द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। यह देखा गया है कि पत्तों के मोजोफिल से जीवद्रव्य तथा कोशिकाओं के निलम्बन कल्चर्स से जीवद्रव्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। 
    यान्त्रिक पृथक्करण (mechanical isolation) विधि द्वारा प्लाज्मोलाइज्ड ऊतक कोशिकाओं की भित्तियों को तेज धार वाले चाकू से काटकर पृथक किया जा सकता है। इस प्रकार निकले हुए जीवद्रव्य में थोड़ी-सी डीप्लाज्मोलाइसिस की क्रिया करनी पड़ती है।
       इस विधि द्वारा निकाले गये जीवद्रव्य की मात्रा कम होती है। दूसरी क्रमबद्ध एन्जाइमेटिक (sequentional enzymatic) विधि में पृथक की गई कोशिकाओं में पेक्टीनेजेज द्वारा पादप ऊतकों में प्रारम्भिक मेसीरेशन किया जाता है और सेल्यूलेज उपचार द्वारा जीवद्रव्यों को परिवर्तित कर दिया जाता है। पॉवर एवं कुकिंग (Power and Cocking, 1961) के अनुसार मिश्रित एन्जाइमेटिक विधि में पादप ऊतकों को पेक्टीनेज तथा सेल्यूलेज एन्ज़ाइम्स के मिश्रण में डीप्लाज्मोलाज्ड किया जाता है, जिससे कोशिका भित्ति कोशिकाओं से पृथक् हो जाती हैं और कोशिकाद्रव्य बाहर निकल जाता है। रियूसिन्क (Ruesink. 1979) के अनुसार मेनीटॉल (manmitol) अथवा सरबिटाल (sorbitol) के घोल को लगभग 0-5 M सान्द्रता पर जीवद्रव्यों को स्थिर (stabilize) रखा जाता है। तम्बाकू तथा पिटूनिया की पत्तियों की मोजोफिल कोशिकाओं से जीवद्रव्य का विलगन, संयुक्तजन एवं संवर्धन की विधियों पर नागाता एवं ताकेबे (Nagata and Takebe, 1970) ने महत्त्वपूर्ण कार्य किये हैं।

चित्र 25.14. पिदुनिया तथा तम्बाकू की मौजोफिल कोशिकाओं से कुकिंग की विधि द्वारा एन्जाइम क्रिया द्वारा जीवद्रव्य का विलगन प्रदर्शित

(A) स्टेरेलाइज्ड पत्ती की सतह,
(B) एन्जाइम घोल ऑस्मोटिक स्टेबिलाइजर के ऊपर तैरते हुए पत्ती के टुकड़े,
 (C) पेट्रीडिश की तली में डूबते हुए पत्ती के टुकड़े,
(D) एन्जाइम घोल को पृथक करना,
(E) धोने वाले माध्यम में जीवद्रव्य,
(F-G)मेन्ट्रीफ्यूज एवं पुनः निलम्बित पोल,
(H-J) सेम्पिल को पृथक करके संवर्धन मीडियम में पुनः निलम्बित करना

(2) विलगित जीवद्रव्यों का संयुजन (Fusion of Isolated Protoplasts)

(1) स्वतः संयुजन (Spontaneous fusion)- एन्जाइम की क्रिया द्वारा कोशिका भित्तियों के गल जाने के फलस्वरूप समीपस्थ जीवद्रव्य आपस में संयोजित होकर होमोकैरियोन्स (homokaryons) का निर्माण करते हैं तथा इन बहुकेन्द्रकीय कोशिकाएँ में वुडकॉक (Woodcock, 1973) के अनुसार 2-40 केन्द्रके पाई जाती हैं। विदर्स एवं कुकिंग (Wahers and Cocking. 1972) के अनुसार कोशिकाओं के मध्य खड़ी हुई प्लाज्मोडेस्मेटा फैलती तथा सिकुड़ती है, जिसके कारण इस प्रकार की अवस्था दिखाई देती है। ब्रार (Brar, 1979) आदि के अनुसार कल्चर की गयी कोशिकाओं में विभाजन के समय इस प्रकार के होमोकैरियोन्स (homokaryons) का अवलोकन जीवद्रव्य पृथक्करण के समय देखा गया।

(2) उत्प्रेरित संयुजन (Induced fusion)- ताजे पृथक् किये गये जीवद्रव्यों को संयुजन के लिए उत्प्रेरित किया जा सकता है। यह क्रिया पाँवर (Power, 1970) आदि के अनुसार फ्यूसोजिन्स जैसे- सोडियम नाइट्रेट (NaNO3) की उपस्थिति में होती है। एरिक्सन (Erikssan, 1971) के अनुसार यह क्रिया कृत्रिम समुद्री जल तथा पोट्रीकस (Potrykus, 1973) के अनुसार यह क्रिया लाइसोजाइम (lysozyme) की उपस्थिति में होती है। निम्नलिखित उपचारों द्वारा कायिक संकर पादपों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है
      (i) सोडियम नाइट्रेट उपचार (NaNO, Treatment) - सर्वप्रथम कुकिंग (Cocking. 1973) एवं पॉवर (Power, 1970) आदि वैज्ञानिकों ने बताया सोडियम नाइट्रेट (NaNO3) के उपचार द्वारा उत्प्रेरित संयुजन किया जा सकता है। पृथक किये गये जीवद्रव्यों को सुक्रोज ऑस्मोटिकम ( Sucrose osmoticum) पर तैराकर साफ किया जाता है जिसके पश्चात् इन जीवद्रव्यों को 0-25 M सोडियम नाइट्रेट (NaNO3) के घोल में रखकर सेण्ट्रीफ्यूज किया जाता है, जिससे संयुजन विधि शीघ्रतापूर्वक होती है। कार्लसन (Carlson, 1972) आदि वैज्ञानिकों ने इस विधि द्वारा तम्बाकू की दो जातियों जैसे निकोटियाना ग्लॉका (N. glauca) तथा निकोटियाना लेग्सडॉफी (N langadorfi) के जीवद्रव्यों को संयुजित कराकर प्रथम कायिक संकर को प्राप्त किया था।
      (ii) उच्च पी-एच कॅल्शियम आयन उपचार (High pH / Cat Treatment) सर्वप्रथम किलर एवं मिल्चर्स (Killer and Melchers, 1973) नामक वैज्ञानिकों ने इस विधि से तम्बाकू के दो प्रकार के जीवद्रव्यों को संयुजित कराया और यह विधि आजकल भी प्रयोग में लायी जा रही है। पृथक किए गए जीवद्रव्यों को ऊष्मायन 0-4M मेनीटॉल तथा 0-05 M कैल्शियम क्लोराइड जिसका पी-एच मान 10-5 होता है, के घोल को 37 डिग्री सेण्टीग्रेड तापमान पर रखकर किया। इस विधि में जीवद्रव्य 10 मिनट के अन्दर संयुजन करने लगते है। इस विधि द्वारा मिल्चर्स एवं लेबब (Melchers and Labub, 1974) नामक वैज्ञानिकों ने वंश निकोटियाना (Nicotiana) के इंट्रास्पेसिफीक (intraspecific) तथा इंटरस्पेसिफिक (interspecific) कायिका संकरण को प्राप्त किया है।
पेग (PEG) उपचार द्वारा जीवद्रव्यों को तेजी के साथ एक-दूसरे के समीप लाया जा सकता है जिसके फलस्वरूप उनमें संयुजन होता है। दो प्लाज्मा मेम्ब्रेन्स के समुच्चयन के समय दो समीपस्थ जीवद्रव्यों की सतह एक-दूसरे से दबने लगती हैं और दोनों मेम्ब्रेन्स एक-दूसरे से संयुजन करने लगती हैं। इसी समय संयुजन करने वाली मेम्ब्रेन में प्लाज्मोडेस्मेटा जैसे इण्टरकनेक्शन्स दोनों के बीच बन जाते हैं।
     इस प्रकार के जीवद्रव्य धीरे-धीरे फैलकर आपस में संयुजित होकर चौड़े कनेक्शन बना लेते हैं और इसके पश्चात् संयुजन करने वाले अंग पूर्णतया गोलाकार संरचना बना लेते हैं। यह संयुजन दो अथवा दो से अधिक जीवद्रव्यों में होता है। दो असमान जीवद्रव्यों में होने वाली संयुजन के फलस्वरूप हेटेरोकैरियोन (heterokaryon) का निर्माण होता है और जब इनको कल्चर किया जाता है तो हेटेरोकैरियोन की केन्द्रक आपस में संयुजित होकर सत्य संकर कोशिका को जन्म देती है।
    माइक्रोस्पोर जीवद्रव्यों तथा मियोसाइट (meiocytes) जीवद्रव्यों का संयुजन फ्यूसोजिन की अनुपस्थिति
में हो सकता है। इटो (Ito, 1973) नामक वैज्ञानिक ने लिलियेसी कुल (Family Liliaceae) के सदस्यों के
मियोलाइट (mciolyte) जीवद्रव्यों को संयुजित करने के लिए कैविटी स्लाइड्स (cavity slides) का प्रयोग किया है। उन्होंने बताया कि पृथक् किए गए जीवद्रव्यों को स्लाइड के ऊपर धीरे-धीरे थपथपाने से कैविटी के आधार पर उनमें समुच्चयन (aggregation) हो जाता है। कैविटी के आधार में एन्जाइम का घोल भरा होता है, जिससे उनमें संयुजन होता है। चित्र 25.16 में व्यक्तिगत जीवद्रव्यों की संयुजित संरचनाओं को बड़े आकार के आधार पर पहचाना जा सकता है।

(3) संकर जीवद्रव्य का संवर्धन (Culture of Hybrid Protoplast) 
     जब किसी संवर्धन मीडियम में जीवद्रव्य का संवर्धन किया जाता है तो यह देखा गया है कि जीवद्रव्य अपने चारों ओर कोशिका भित्ति का संश्लेषण करके नई कोशिका का पुनर्निर्माण (reconstitute)  करता है।

यह कोशिका लगातार विभाजन करती रहती है जिसके फलस्वरूप कैलस बन जाता है। अधिकांश संवर्धनो में जीवद्रव्य द्वारा कोशिका भित्ति का संश्लेषण होता है। किंतु फेसियोलस (phaseolus)  तथा कपास (Gossypium) के जीवद्रव्य द्वारा कोशिका भिति के निर्माण के लिए संवर्धन मीडियम में अतिरिक्त कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2) तथा अमोनियम नाइट्रेट (NH4NO3) को मिला दिया जाता है। इस कार्य में प्रायः नागाता एवं ताकेबे (Nagata and Takebe, 1970) के संवर्धन माध्यम को प्रयोग में लाया जाता है।

जीवद्रव्य संयुजन (Protoplast Fusion)

इस तकनीकी द्वारा विभिन्न लैंगिक अनिषेच्य (sexually incompatible) तथा निषेच्य जनकों से अनेक संकर विकसित किए जा चुके हैं और इस प्रकार के मुख्य उदाहरण निम्न प्रकार है 

(i) Datura innoxia × D. candida
(ii) Solanum tuberosum × Lycopersium esculentum 
(iii) Datura innoxia × Atropa belladona

'लैंगिक संकरण (sexual hybridization) में नर जनक का कोशिकाद्रव्यो महत्त्व बहुत कम होता है। अतः प्रायः मातृक कोशिकाद्रव्यी वंशागति देखने को मिलती है। कायिक कोशिकाओं के जीवद्रव्य के संयुजन द्वारा दोनों जनकों के कोशिकाद्रव्यों के महत्त्व देखने को मिलते हैं। अभी यह ज्ञात नहीं हो सका है कि दोनों कोशिकाद्रव्य आपस में स्थिर होते हैं। एक जाति में क्लोरोप्लास्ट के नष्ट होने की आदत पायी जाती है किन्तु जैव-रासायनिक विश्लेषण के आधार पर यह बताया गया है कि क्लोरोप्लास्ट तथा माइटोकॉण्ड्रिया DNA में प्रयोग में लाने के लिए न्यूक्लिएन प्रोफाइल (nuclease profiles) की आवश्यकता होती है। इस प्रकार की केन्द्रकीय कोशिकाद्रव्यी अवस्थाओं में क्लोरोप्लास्ट DNA व्यक्त नहीं होता है।
       पादप आनुवंशिकता का अध्ययन, केन्द्रकरहित (enucleated) जीवद्रव्य का संयुजन प्रमुख जीवद्रव्य से कराकर मिश्रित कोशिकाद्रव्य वाले साइब्रिड (cybrid) पादपों को प्राप्त किया जा सकता है जिनमें न्यूक्लियर जीन्स केवल एक जाति से आते हैं। पादपों में यह तकनीकी काफी उपयोगी सिद्ध हुई जिसके द्वारा दो लैंगिक अनिषेच्य जनकों (sexual incompatible parents) से भी पौधे प्राप्त किये जा सकते हैं।

Decomposition reaction

0.11 why are decomposition reaction, Called the opposite of Combination reactions ?Write equations for these reactions.

Ans- The Decomposition reactions are opposite to Combination reactions. In a decomposition reaction. A Single Substance to give two or more substances.

Q.11 अपघटन अभिक्रियाओं को संयोजन अभिक्रियाओं के विपरीत क्यों कहते हैं? इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए।

Ans- अपघटन अभिक्रियाएँ संयोजन अभिक्रियाओं के विपरीत होती हैं। एक अपघटन प्रतिक्रिया में। एक पदार्थ जो दो या दो से अधिक पदार्थ देता है।