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Concept methodology and applications of proteomics

Synopsis :-

1. Introduction
2.  Methodology
3. Application of proteomics
4. Conclusion
5. Reference

1. Introduction :-  Genetics के अंतर्गत किसी cell मै जीन के द्वारा विभिन्न प्रकार के आवश्यक कार्यों को किया जाता है। जो प्रथम चरण है, इसके अलावा प्रोटीन कैसे कार्य करते हैं। एवं इनको कैसे उपयोग किया जाता है, यह जीनोम के अंतर्गत आता है।
             Protien शब्द का उपयोग cell में उपस्थित जेनेटिक एक molecular मशीन है जिसमें जिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कोशिका के विभिन्न प्रोटीन के बीच जैव रासायनिक आकर्षक का अध्ययन proteomics के अंतर्गत करते हैं।
              Cell में उपस्थित proteom की जटिलता का अध्ययन Polyacrylamate Gel electrophoresis ( PAGE ) के द्वारा करते हैं। जिसमें one - dimensional PAGE विधि मुख्यता उपयोग में की जाती है। जिसमें प्रोटीन की कुछ संख्याओं का उपयोग किया जाता है। टू - dimensional electrophoresis अधिक महत्वपूर्ण होता है।

2. Methoclology : - इस विधि में सबसे पहले प्रोटींस को अलग-अलग कर लेते हैं।
                इसके बाद विभिन्न ने जेल system द्वारा प्रोटीन को Second direction मैं अलग करते हैं। एक सामान्य विधि Isoelectri foccusing भी है, जो SDS PAGE के बाद की जाती है इसके अलावा अन्य विधियों में मासइलेक्ट्रोमिट्रि x - ray क्रिस्टलोग्राफी और nuclear magnetic resonance technique का उपयोग भी protein की संरचना के अध्ययन में किया जा सकता है।
                 विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा DNA microarray का उपयोग proteom के अध्ययन में किया गया है। जिससे विभिन्न प्रकार के अणुओं को micro - array मैं उपयोग किया जाता है। इसमें एक प्रकार मैट्रिक्स के ऊपर एंटीबॉडीज को Fix करना और उसके ऊपर - ऊपर protein sample को डालते है। जो Antibodies से bind हो जाते हैं। और हम उनका निरीक्षण कर लेते हैं। इस विधि के द्वारा Human में protein organisation को ज्ञात किया जा चुका है। इस विधि को 2001 में proteom के अध्ययन के लिए उपयोग किया गया था।

3. Application of proteomics : - 

  1. इसका उपयोग Human gene और protein को identification मे होता है। जिसमे disease को दूर करने के लिए drugs बनाने में सहायता मिलती है।

  2. इसकी सहायता से protein mass, protein structure आदि का पता लगाया जाता है। जो gene expression विधि में उपयोग होता है।

  3. Protein, Protein intraction के द्वारा cell signaly और gene regulatry की प्रक्रिया को समझा जा सकता है।

  4. बड़े सर पर protein expression का निरीक्षण proteomics के अंतर्गत करते हैं एक्सप्रेशन के लिए 2D phase PAGE और Moss इलेक्ट्रोमैट्री आदि विधियों का उपयोग करते हैं।

   5. Protein की संरचना और कार्य का अध्ययन कर इसकी कोम्पेक्सिटी का पता लगाया जा सकता है। जो biomarkers के रूप में भी उपयोग होते हैं।

   6. Proteomics के द्वारा biomarkess को पहचाना जाता है। जो becterial एवं वायरल disease के control मे कार्य करते है।

   7. Structural proteomics के अंतर्गत बड़े पैमाने पर प्रोटीन की संरचना को ज्ञात किया जाता है। जिससे protein की संरचना की तुलना और नए कार्य के जींस को खोजा जाता है। संरचनात्मक अध्ययन से drug एवं प्रोटीन के जुड़ने की क्रिया का पता लगाया जा सकता है।

4. Conclusion : - प्रोटियोमिक्स जैविक अनुसंधान में एक निरंतर बढ़ती और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। और ऐसी कई प्रौद्योगिकीया उपलब्ध है, जो बड़ी मात्रा में डेटा उत्पन्न कर सकती है। ऐसे डेटा का विश्लेषण जैव सूचना विज्ञान के लिए रुचि के नए और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को खोलता है।

5. Reference : - 

Proteins and protiomics - Citationsy

Rice genome project

Synopsis :-

1. Introduction
2. International rice genome                       sequencing project ( IRGSP)
3. sequencing strategy
4. Conclusion
5. Reference

1. Introduction  - चावल एक असाधारण वनस्पति है जो विश्व की लगभग आधी आबादी को विशेष रुप से एशिया अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका को भोजन उपलब्ध कराता है। इसे पकाना भी आसान है तथा इसमें Lysine को छोड़कर मानव के लिए आवश्यक अन्य सभी Amino acid पाए जाते हैं। एशिया के लोगों के दैनिक जीवन में इसका उपयोग गहराई तक समया हुआ है। चावल की उत्पत्ति लगभग 14 मिलियन वर्ष पूर्व आज के दक्षिण-पूर्व एशिया एवं फिलिपिंस में हुई। अतः इसकी खेती का इतिहास बहुत पुराना है।
                    चावल एक monocarpic पौधा है। जिसकी लंबाई 1- 1.8 मीटर तथा पत्तियों की लंबाई 50 - 100 cm एवं चौड़ाई 2 - 25 cm होती है। इसके पुष्प छोटे होते हैं। जिनका परागण वायु द्वारा होता है। जो घासो के लिए लाक्षणिक है। इनका बीज एक दाना होता है। जिसकी लंबाई 5 - 12 mm तथा मोटाई 3 mm होती है। चावल ओराइजा की 2 जातियां मानव पोषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है - 0. sativa जो संपूर्ण विश्व में तथा 0.glaberrima ( अफ्रीकन चावल ) जो पश्चिमी अफ्रीका के कुछ भागों में उगाई जाती है। 0.sativa की दो प्रमुख उप.जातियां है लंबे बालों वाली ओ. सटाईवा इंडिका जैसे बासमती चावल एवं छोटे दानों वाली चिपचिपी ओ. सटाईवा जैपोनिक इंडिका चावल संपूर्ण उष्णकटिबंधीय एशिया में तथा जैपेनिका चावल शीतोष्ण पूर्वी एशिया, दक्षिण पश्चिम एशिया में शुष्क भूमि में उगाई जाती है। एक तीसरी उप.जाति जैपेनिका  भी है। जिसे अब कुशणकटिबंधीय जैपोनिका के रूप में जाना जाता है।
              चावल अनाजों के लिए एक Modal species है। तथा DNA अनुक्रम के लिए एक अच्छा पात्र भी है। इसका जीनोम size 400 - 430 kb है। जो कि प्रमुख अनाजों में सबसे छोटा परंतु चट्टानी चनसुर Arabidopsis येलियाना  से 3 गुना बड़ा है। अन्य अनाजों के पौधों की तुलना में चावल एक आसानी से आनुवंशिक रूपांतरण किया जा सकता है।

2. International rice genome                    sequencing project ;
     IRGSP : - अंतरराष्ट्रीय चावल जीनोम अनुक्रमण परियोजना ( IRGSP ) की शुरुआत सितंबर 1990 में एक कार्यशाला में हुई जो सिंगापुर में plant molecular biology आयोजित international symposium के संयोजन में संपन्न हुई। इस कार्यशाला में अनेक देशों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया तथा इसमें चावल जिनोम के अनुक्रमण हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग हेतु सहमति बनी। इसी के परिणाम स्वरूप 6 महीने बाद दिशा निर्देशों (guidlines) के स्थापना हेतु सुदूबा, जापान, कोरिया, चीन, इंग्लैंड तथा अमेरिका के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। सभी प्रतिनिधियों के बीच सामग्री साझा करने physical maps एवं सटीक DNA अनुक्रम को समय से सार्वजनिक डेटाबेस को उपलब्ध कराने पर आम सहमति बनी। IRGSP मे कुल 11देश तथा IRGSP कार्यकारी समूह जिसमें सभी भाग लेने वाले देशों से एक-एक प्रतिनिधि शामिल है। सबसे नया सदस्य ब्राजील है। जिसमें बारहवे गुणसूत्र पर कार्य करने का प्रस्ताव दिया है।

TABEL -  गुणसूत्रीय अनुक्रमण में भाग लेने                       वाले देश

 Chromosome.       Country
        1.                Japan , korea
        2.            United Kingdom,canada
        3.           USA
        4.           China
        5.           Taiwan   
        6.           Japan
        7.           Yet to be proposed
        8.           Yet to be proposed
        9.           Thailand
       10.          USA
       11.           India, USA
       12.           France, Brazil


3. Sequencing strategy : -.  IRGSP के अंदर अनेक बिंदुओं पर रणनीति बनाई है। जैसे अनुक्रमण की अनुकूलतम विधि, अनुक्रमीत की जाने वाली चावल की Rice caltivar accuracy तथा अनुक्रम जारी करने की नीति आदि। अनुक्रमण हेतु DNA के स्त्रोत के लिए चावल को केवल एक किस्म का चयन किया गया क्योंकि चावल की बोई जाने वाली किस्मों की अनुवांशिक पुष्णभूमि में भिन्नता पाई जाती है। अतः इस परियोजना के लिए जैपोनिका  उप.जाति की Japonica cultivar, Nipponbare किस्म का चयन किया गया। यह किस्म चावल Genoma research program में EST अनुक्रमण एवं YAC भौतिक मानचित्र के निर्माण में प्रयुक्त की जा रही थी। अतः संपूर्ण IRGSP द्वारा समान नमूने के लिए निप्पोनणेयर का चयन किया गया।

4. Conclusion :- Rice genome की उपलब्धता सामुदायिक एनोटेशन और अन्य संसाधनों के साथ जिन्होंने कार्यक्षमता को जोड़ा अनुवांशिकी अनुसंधान और चावल प्रजनन को बदल दिया।  इसे कई तरीकों से नापा जा सकता है लेकिन जीन क्यूटियेल में वृद्धि इसका सीधा उपाय है।

5.Reference -:

1. यूनीप्रोट कंसोर्टियम। (2019) यूनीप्रोट: प्रोटीन ज्ञान का एक विश्वव्यापी केंद्र न्यूक्लिक एसिड रेस। 

2. अरंडा बी एट अल। (2010) इंटएक्ट मॉलिक्यूलर इंटरेक्शन डेटाबेस इन 2010

3. जस्सल बी एट अल। (2020) रिएक्टोम पाथवे नॉलेजबेस न्यूक्लिक एसिड रेस । 
    

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