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Staining techniques

Staining technique 
                            जब wet proparation का अध्ययन Bright field micro - scopy द्वारा किया जाता हैं। तब उस preparation मे micro - organism का अध्ययन स्पष्ट रूप से नही कर पाते है। क्योंकि micro - scope की field तीव्र प्रकाशित होती है। और micro - organism इतनी light abscrb नही कर पाते है, जिसमे वे धुंधले दिखाई देते है, परन्तु जब इन micro - organism को किसी dye के द्वारा stain किया जाता हैं। तब उनकी light absorbing ability बढ़ जाती हैं। और colour differentiation के कारण हम micro - organism का अध्ययन आसानी से कर सकते है।micro - organism को इस तरह microbiological stains के द्वारा stain करने की क्रिया को ही staining करते है।
        Micro - organism की staining के लिए अनेक coloured organic compounds उपलब्ध हैं। और इन compounds को केमिकल behaviour के आधार पर विभाजित किया जाता हैं। 
जैसे - Acid, Basic, Neutral, Acid dye के आयंस निकोटीन बेसिक डाई के आयंस एसिटिक व न्यूट्रल डाई के आयंस Complex Salt है। Acid dye acidic cell compounds को stain करने का कार्य करती हैं। Stain की क्रिया मे Stain of surface की active sites के बीच lon axchange की क्रिया होती हैं।

कुछ प्रमुख Staining techniques निम्न है :-

1. ग्राम स्टेनिंग 
2. एसिड फॉस्ट स्टैनिंग
3. एण्डोस्पोर स्टैनिंग  
4.  केप्सल स्टैनिंग
5. फ्लेजिली स्टैनिंग   
6. साइटोंप्लास्मिक इंट्यूसन स्टैनिंग
7. Giemsa Staining.

 1. Simple Staining : -  
Bacterial के fixed smear को जब Staining के Single Solution के द्वारा Color किया जाता है, तो इसे Simple Staining  कहते है। इस Staining मे fixed smear को एक निश्चित समय के लिए dye solution के संपर्क मे रखा जाता है। Extra solution को slide से हटाने के लिए उसे alcohol या थोड़े से पानी से धो लिया जाता है। इस प्रकार microorganisms stain में जाते हैं और cell को  क्रिस्टल वॉयलेट (christal violet ),  मेथिलाइन ब्लू (methelene blue ),(phychosine )फाइको साइन आदि द्वारा होती हैं।
2. Differential staining :- Bacteria cell  के बीच अंतर (difference) देखने के लिए जिस स्टेनिंग टेक्निक का उपयोग किया जाता है उसे Differential staining कहते हैं। यह स्टेनिंग सिंपल स्टेनिंग की तुलना में कुछ विस्तृत है।
       Differential staining techniques के अंतर्गत उनकी staining techniques आती हैं जिनके द्वारा cell एवम other cell organism का अध्ययन अच्छी तरह से कर सकते हैं।

* Types of Differential staining techniques :-
(1) Gram staining  :- microbiology में एक महत्वपूर्ण अत्यधिक उपयोग की जाने वाली  Differential staining   के बारे में सबसे पहले क्रिश्चियन ग्राम (christian gram) ने  1884 में बताया था । इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया को क्रम से स्टेनिंग reajent में भिगोया जाता है।
जैसे : - क्रिस्टल वॉयलेट ,आयोडीन सॉल्यूशन, एल्कोहल, सेफ्रेनिन  या कुछ अन्य counter stain .
            Gram staining विधि के द्वारा staining bacteria को दो group में बाटा गया है - 
(A) Gram positive bacteria :- gram positive bacteria को cristal वॉयलेट से Staining लेते है। और गहरे Voilet colour के दिखाई देते है। Gram positive bacteria कहलाते है।
(B) Gram Negative Bacteria :- ग्राम नेगेटिव बैक्टेरिया, क्रिस्टल वॉयलेट से Staining नही देते है। ये counter Stained होकर Red Pink colour मे दिखाई देते है। संभवत ऐसे बैक्टेरिया के Cell Wall के composition stracture के कारण होता है।
               Gram Negative bacteria को Cell - Wall gram positive bacteria की तुलना मे पतली होती है। Gram positive bacteria से gram negative bacteria मे अत्यधिक मात्रा में liquid contain करता है।
               जब Alcohol fermantation किया जाता हैं। तब gram negative bacteria की cell Wall की permiability या parosity बढ़ जाती है। और क्रिस्टल वॉयलेट, आयोडीन कॉम्पलेक्स बाहर आ जाता है। जिसमे ग्राम निगेटिव बैक्टेरिया रंगहीन हो जाता है। तथा अब cell counter stain safranin से stain होता है। जबकि gram positive bacteria मे alcohol treatment पर Cell - Wall की permiredune हो जाती है। और cristal voilet iodine Complex बाहर नही आ पाता है। अब उसकी Cell Voilet colour की ही बनी रहती है। gram staining bacteria को stain करने की सबसे महत्वपूर्ण विधी है। तथा यह Staining technique micro - organism को other group    जैसे – प्रोटोजोआ, सालमोनेला अनुपयोगी है।
             Gram Staining के अतिरिक्त अन्य अनेक Staining technique है। जिनके द्वारा Cell Structure के particular feature या Composition को identifey किया जा सकता है। कुछ staining technique इस प्रकार हैं –
(2.) Acid F Staining : - इसे सर्वप्रथम Robest koach ने दिया। इसके द्वारा Bacteria दो समूह में विभक्त होते है –
       (A) Acid fast bacteria
       (B) Non acid fast bacteria. 
Acid fast organism वे होते है जिन्हे stain करना कठीन होता है और एक बार stain होने पर उन्हें एसिड या alcohol से deneturise करना कठीन होता है। 
उदाहरण - mycobacterium ,nocardia.
(3) Endospore stain :- Bacteria में spore व spore संरचनाओं का डेमोंस्टेशन करता है।
(4) Capsule stain :- cell के चारो ओर पाए जाने वाले capsule को demostrate करता है।
(5) Flagella stain :- Flagella के arrangement व उपस्थिति को demostrate करता है।
(6) Cytoplasmic inclusion stain :- यह stain के intra cellular deposits , glycogen, polyphosphate, hydroxy butyrate व substances को identify करता है।
 (7) Giemsa stain :- इसके द्वारा मुख्य रूप से rickettsias और कुछ protozoa को stain किया जाता हैं।
        

Nitrogen fixation machanism

Synopsis :-

1. Nitrogen fixation
(a) physical nitrogen fixation
(b). Biological nitrogen fixation
(1) Asymbiotic nitrogen fixation
(2) symbiotic nitrogen fixation
2. Requirement of nitrogen fixation

Nitrogen fixation :-  वायुमंडल में लगभग 78% N2 स्थिति है। तथा Soil मैं नाइट्रोजन का 0.1 - 1% content उपस्थित रहता है। Nitrogen को Orange तथा inorganic मैं विभाजित किया जा सकता है वायुमंडलीय N को direct plants absorve नही कर सकते है। अथवा higher plants द्वारा वायुमंडलीय Nitrogen का उपयोग Organic Nitrogen Compound के रूप मे किया जाता है। जिसे “Nitrogen Fixation” कहते है।
             इस Process मे Free N2 Nitrogenous observation मे convert हो जाती है। जो Plant  द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। Nitrogen Fixation की दो प्रोसेस है।

1. Physical N2 Fixation : - इस प्रकार की Nitrogen fixation मे कोइ भी Biological agent शामिल नहीं होता है। इस विधि में वायुमंडलीय N2 तथा 02 के Combination की कई Step होती है जिनके फलस्वरूप नाइट्रिक ऑक्साइड बनता है।
    N2 + O2 --->  2 NO (नाइट्रिक ऑक्साइड)
नाइट्रिक ऑक्साइड 02 द्वारा oxides द्वारा नाइट्रोजन पराक्साइड बनाता है।
   2NO + 02 --->  N2 02 or 2NO2
                           (नाइट्रोजन पराक्साइड)
 यह N2 पराक्साइड वर्षा के जल से क्रिया करके नाइट्रिक् acid या नाइट्रस acid बनाता है 2NO2 +Rainwater ---> HNO3 or HNO2
             ( नाइट्रिक acid ) or (नाईट्रस acid)
 यह नाइट्रिक अम्ल अथवा नाइट्रिक अम्ल एल्किल Redicals के साथ जुड़ते हैं। जो Rain water के साथ जमीन पर आते है। और plants को Root द्वारा अवशोषित हो जाते है।

 2. Biological Nitrogen Fixation : -       ( a.) A Symbiotic Nitrogen Fixation : -
       एजेटोबेक्टर तथा अन्य non - Symbiotic bacteria जैसे - रोडोस्पाईल्स, स्यूडोमोनी रोडोस्यूडोमोनास क्लोरोबियम डिप्लोकोकस, न्यूमोनी, एजेटोबेक्टर, ऐ रोजिन्स मैक्रोकोकस, साल्फ्यूरेंस bacterial भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को असहजीव रूप में fix करते हैं। कुछ माइक्रोऑर्गेनिक द्वारा भी नाइट्रोजन Fixation देखा गया है। ये micro - organism डिएजोट्रोफिक है। जिनके द्वारा एथिलिन से एसिटिलिन मे  reduction देता है। जिसके द्वारा नाइट्रोजन Fixation होता है। इस mechanism मे जो परिवर्तन होता है। वह engymatic complex या नाइट्रोजीनस एंजाइम द्वारा नियंत्रित होता है। Nitrogenous एंजाइम की उपस्थित मे नाइट्रोजन गैस अमोनिया मे परिवर्तन हो जाती है। नाइट्रोजीनस एंजाइम NH3 के प्रति सक्रीय होता है। यह बहुत से Micro - organism के सदस्य मे जिनमे नाइट्रोजन Fixation करने की क्षमता होती है। परंतु 02 कम मात्रा मे उपस्थित होती है। उस स्थिति के micro - organism माइक्रो एरोबिक Fixer कहलाते है। यह मीथेन को oxidise करते है।
   उदाहरण ---> स्पाईरिला ( 9947 स्पाईरिलम एजो स्पाईरिलम ) जेन्योबेक्टर ( ओटोरोकिकस एण्ड स्पाईरिलम फ्लेक्स ) 
         थायोबेसिलस फेशेऑक्सीडेंस तथा नॉनहेट्रीसिस्टस माइक्रोएरोबिक थायोबेसिलस फेशेआक्सिडेंस तथा नॉनहेट्रिसिस्टम माइक्रोएरोबिक साइनोबैक्टीरिया (आसिलोटोरिया, प्लेक्टोनिमा ) एरोबिक condition में नाइट्रोजन Fixation bacteria --- > ex - साइट्रोबेक्टर, एंटारोबेकटर, अरविनिया।

3. Requirment of N2 Fixation : - 
   (1.) नाइट्रोजन Fixation मे O2 तथा कार्बोकिसल group के केटेलिस्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
   (2.) नाइट्रोजन Fixation मे बहुत कम मात्रा मे chemical ऊर्जा ( ATP ) उपयोग होती हैं। लगभग 1Kg cal Fixation 2mg of atmospheric Nitrogen यह स्थिति respiration तथा Nitrogen Fixation कि relationship को प्रद्शित करती है।
   (3.) कुछ एनएरोबिक बेक्टरिया O2 के प्रति संवेदनशील होते है।
 उदाहरण : - क्लॉसटिडियम वेस्टीयूरोएनम एक obligats एनेरोल्स है। जिसमे एजेंटबेक्टर के समान N2 Fixation की machanism पाई जाती है। क्योंकि यह बहुत अधीक मात्रा मे अपनी metabolic क्रिया में H2 उत्पन्न करते है।      
 Nitrosomonas.  Nitrobacter
NH4   ------>  NO2- -------> NO3-
अमोनिया।      नाइट्राइट।       नाइट्रेस

(b.) Symbiotic Nitrogen Fixation : - अधिकांशता legume plants मे Symbiotic N2 Fixation पाया जाता है। Soil मे उपस्थित रायजोबियम bacteria इन पौधों में hodule का Formation करते है। और सहजीवी के रूप मे निवास करने है। Legame पौधो के   उदाहरण : - चना, मटर, सोयाबीन, मूंग, अरहर।

      machanism of nitrogen fixation