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खनिज पोषण (Mineral Nutrition)

खनिज पोषण (Mineral Nutrition) पौधों के स्वस्थ विकास और चयापचय के लिए आवश्यक खनिज तत्वों के अध्ययन को संदर्भित करता है। ये खनिज तत्व दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित होते हैं:

  1. मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients): पौधों के स्वस्थ विकास और चयापचय के लिए कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक मात्रा में होती है, जिन्हें मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients) कहा जाता है। ये तत्व पौधों की संरचना, ऊर्जा उत्पादन, और विभिन्न जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रमुख मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और उनके कार्य इस प्रकार हैं:

    1. नाइट्रोजन (N): प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड, और क्लोरोफिल का मुख्य घटक; पौधों की वृद्धि और पत्तियों के हरे रंग के लिए आवश्यक।

    2. फॉस्फोरस (P): डीएनए, आरएनए, और एटीपी का हिस्सा; ऊर्जा संचरण और जड़ विकास में महत्वपूर्ण।

    3. पोटैशियम (K): एंजाइम सक्रियता, जल संतुलन, और स्टोमेटा के संचालन में सहायता करता है; रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

    4. कैल्शियम (Ca): कोशिका भित्ति की संरचना और स्थिरता में योगदान; कोशिका विभाजन और वृद्धि में महत्वपूर्ण।

    5. मैग्नीशियम (Mg): क्लोरोफिल का केंद्रीय परमाणु; प्रकाश संश्लेषण और एंजाइम सक्रियता में भूमिका निभाता है।

    6. सल्फर (S): कुछ अमीनो एसिड और विटामिन का घटक; प्रोटीन संश्लेषण और क्लोरोप्लास्ट कार्य में आवश्यक।

    इन मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से पौधों में वृद्धि रुकावट, पत्तियों का पीला होना, और अन्य विकार हो सकते हैं। इसलिए, मिट्टी की नियमित जांच और उचित उर्वरक प्रबंधन द्वारा इन पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना आवश्यक है।

  2. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients): इनकी आवश्यकता कम मात्रा में होती है, लेकिन ये उतने ही महत्वपूर्ण हैं। इनमें आयरन, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, मोलिब्डेनम, बोरॉन, क्लोरीन, और निकल शामिल हैं।

पौधे इन खनिजों को मिट्टी से अवशोषित करते हैं, जहां उनकी उपलब्धता मिट्टी की संरचना, पीएच स्तर, और जैविक गतिविधियों पर निर्भर करती है। खनिज तत्व पौधों में विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल होते हैं, जैसे कि एंजाइम सक्रियण, प्रोटीन संश्लेषण, फोटोसिंथेसिस, और कोशिका विभाजन। किसी भी खनिज की कमी से पौधों में वृद्धि रुकावट, पत्तियों का पीला होना, या अन्य विकार हो सकते हैं। इसलिए, मिट्टी की नियमित जांच और उचित उर्वरक प्रबंधन द्वारा खनिज पोषण को संतुलित रखना आवश्यक है।


पौधों के स्वस्थ विकास और चयापचय के लिए खनिज पोषण अत्यंत महत्वपूर्ण है। खनिज तत्व पौधों में कई महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल होते हैं, जैसे:

  1. एंजाइम सक्रियता: कई खनिज तत्व एंजाइमों के सहकारक (कोफैक्टर) के रूप में कार्य करते हैं, जो जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को गति देते हैं।

  2. प्रोटीन संश्लेषण: नाइट्रोजन जैसे खनिज अमीनो एसिड और प्रोटीन के निर्माण में आवश्यक हैं।

  3. फोटोसिंथेसिस: मैग्नीशियम क्लोरोफिल का केंद्रीय घटक है, जो प्रकाश संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  4. कोशिका विभाजन और वृद्धि: कैल्शियम कोशिका भित्ति की संरचना और स्थिरता में योगदान देता है, जिससे कोशिका विभाजन और वृद्धि संभव होती है।

इन खनिजों की कमी से पौधों में वृद्धि रुकावट, पत्तियों का पीला होना, और अन्य विकार उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए, मिट्टी की नियमित जांच और उचित उर्वरक प्रबंधन द्वारा खनिज पोषण को संतुलित रखना आवश्यक है।

पौधों में उनकी कमी के लक्षणों पर चर्चा करेंगे।

पौधों के स्वस्थ विकास और उच्च गुणवत्ता वाली फसल उत्पादन के लिए खनिज पोषक तत्वों की पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक है। इन पोषक तत्वों की कमी से पौधों में विभिन्न लक्षण प्रकट होते हैं, जो उनकी वृद्धि और उत्पादकता को प्रभावित कर सकते हैं। नीचे मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी के लक्षणों का विवरण दिया गया है:

1. मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी के लक्षण:

  • नाइट्रोजन (N): पुरानी पत्तियों का पीला पड़ना (क्लोरोसिस) जो सिरों से शुरू होकर अंदर की ओर फैलता है, और पौधे की वृद्धि रुक जाती है।

  • फॉस्फोरस (P): गहरे हरे पत्ते जिनमें लाल या बैंगनी रंग का आभास होता है; पुरानी पत्तियाँ नीली-हरी या भूरी हो सकती हैं और मुड़ सकती हैं।

  • पोटैशियम (K): पत्तियों के किनारों और सिरों का पीला या भूरा होना, तनों का कमजोर होना, और छोटे फल जो रोगों के प्रति संवेदनशील होते हैं।

  • कैल्शियम (Ca): नई पत्तियाँ विकृत या अनियमित आकार की होती हैं; पौधे कमजोर होते हैं।

  • मैग्नीशियम (Mg): पुरानी पत्तियों पर शिराओं के बीच पीलापन (इंटरवेनल क्लोरोसिस); पत्तियाँ लाल-बैंगनी या मुड़ी हुई हो सकती हैं।

  • सल्फर (S): नई पत्तियों का पीला पड़ना, रुका हुआ विकास, और बीज एवं फलों का उत्पादन कम होना।

2. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी के लक्षण:

  • लोहा (Fe): नई पत्तियों पर शिराओं के बीच पीलापन (इंटरवेनल क्लोरोसिस); पत्तियाँ सफेद या पीली हो सकती हैं।

  • जिंक (Zn): पौधों की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियाँ छोटी और विकृत हो जाती हैं, और फूल आने में देरी होती है।

  • मैंगनीज (Mn): पत्तियाँ पीली हो जाती हैं, और पत्तियों के बीच-बीच में हरे धब्बे दिखाई देते हैं।

  • तांबा (Cu): जड़ों का कमजोर विकास, पत्तियों का पीला होना, और पत्तियों का गिरना।

  • बोरॉन (B): फल का फटना, परागण का नहीं होना, और फूल एवं फलों का गिरना।

  • मोलिब्डेनम (Mo): पौधों की वृद्धि में रुकावट, पत्तियाँ मोटी या भंगुर हो जाती हैं, और पीलापन दिखाई देता है।

इन लक्षणों की पहचान करके, किसान उचित उर्वरकों और पोषक तत्वों का उपयोग करके पौधों की कमी को पूरा कर सकते हैं, जिससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होता है।

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