परिसंचरण तंत्र: मानव शरीर की जीवन रेखा
परिचय
परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) को शरीर की जीवन रेखा कहा जाता है क्योंकि यह शरीर के प्रत्येक भाग तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुँचाने का कार्य करता है। यह तंत्र रक्त, हृदय और रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) से मिलकर बना होता है। परिसंचरण तंत्र का मुख्य कार्य शरीर के अंगों और ऊतकों तक आवश्यक तत्व पहुँचाना और अनावश्यक पदार्थों को बाहर निकालना है।
परिसंचरण तंत्र के प्रमुख भाग
हृदय (Heart)
रक्त (Blood)
रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels)
1. हृदय (Heart)
हृदय एक पेशीय अंग (Muscular Organ) है जो लगातार सिकुड़ने और फैलने से रक्त को पंप करता है।
संरचना: हृदय चार कक्षों में विभाजित होता है:
दायां आलिंद (Right Atrium)
बायां आलिंद (Left Atrium)
दायां निलय (Right Ventricle)
बायां निलय (Left Ventricle)
कार्य: यह शरीर से अशुद्ध रक्त को ग्रहण करके फेफड़ों तक पहुँचाता है और शुद्ध रक्त को पूरे शरीर में प्रसारित करता है।
2. रक्त (Blood)
रक्त शरीर में पोषक तत्वों, ऑक्सीजन और हार्मोन को ले जाने का कार्य करता है। यह मुख्य रूप से चार घटकों से बना होता है:
लाल रक्त कोशिकाएँ (RBCs): ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाती हैं।
श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBCs): संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं।
प्लाज्मा (Plasma): यह रक्त का तरल भाग है जिसमें पानी, प्रोटीन और अन्य घुलनशील पदार्थ होते हैं।
प्लेटलेट्स (Platelets): रक्त का थक्का जमाने में सहायक होती हैं।
3. रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels)
रक्त वाहिकाएँ हृदय से रक्त को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाने और वापस लाने का कार्य करती हैं। ये तीन प्रकार की होती हैं:
धमनी (Arteries): यह हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के अंगों तक पहुँचाती हैं।
शिराएँ (Veins): यह शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त को हृदय तक वापस लाती हैं।
केशिकाएँ (Capillaries): यह बहुत पतली रक्त वाहिकाएँ होती हैं जो कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करती हैं।
परिसंचरण तंत्र के प्रकार
फेफड़ों का परिसंचरण (Pulmonary Circulation): इसमें हृदय से अशुद्ध रक्त फेफड़ों तक जाता है और वहाँ से शुद्ध रक्त वापस हृदय में आता है।
शरीर का परिसंचरण (Systemic Circulation): इसमें हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त शरीर के अंगों तक जाता है और वापस अशुद्ध रक्त हृदय में लौटता है।
कोरोनरी परिसंचरण (Coronary Circulation): इसमें हृदय स्वयं अपने लिए रक्त की आपूर्ति करता है।
परिसंचरण तंत्र का कार्य
ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का संचार
कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना
हार्मोन का परिवहन
शरीर के तापमान को संतुलित रखना
रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सहायता देना
परिसंचरण तंत्र से जुड़ी बीमारियाँ
हृदयाघात (Heart Attack): जब हृदय की धमनियों में अवरोध आ जाता है तो रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है।
उच्च रक्तचाप (Hypertension): जब रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है तो यह परिसंचरण तंत्र के लिए हानिकारक हो सकता है।
एनिमिया (Anemia): जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाएँ कम हो जाती हैं, तो शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होती है।
धमनी काठिन्य (Atherosclerosis): जब धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, तो रक्त प्रवाह में बाधा आती है।
परिसंचरण तंत्र को स्वस्थ रखने के उपाय
संतुलित आहार लें: हरी सब्जियाँ, फल, प्रोटीन और कम वसा वाला भोजन करें।
नियमित व्यायाम करें: दौड़ना, तैराकी और योग परिसंचरण तंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं।
धूम्रपान और शराब से बचें: यह धमनियों को संकीर्ण कर सकते हैं।
तनाव को कम करें: ध्यान और योग से तनाव को नियंत्रित करें।
पर्याप्त पानी पिएं: शरीर में जल की कमी न होने दें।
नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं: हृदय और रक्तचाप की नियमित जाँच कराते रहें।
निष्कर्ष
परिसंचरण तंत्र हमारे शरीर की जीवन रेखा है, जो हृदय, रक्त और रक्त वाहिकाओं के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक आवश्यक तत्व पहुँचाता है। इसे स्वस्थ बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इसका सही कार्य करना ही हमारे स्वास्थ्य का आधार है। सही जीवनशैली अपनाकर और संतुलित आहार लेकर हम अपने परिसंचरण तंत्र को मजबूत बना सकते हैं और हृदय से जुड़ी बीमारियों से बच सकते हैं।
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