क्रोमैटोग्राफी एक तकनीक है जो मिश्रण के अवयवों (components) को अलग करने और विश्लेषण करने के लिए उपयोग की जाती है। इसमें दो प्रमुख चरण होते हैं:
- स्थिर अवस्था (Stationary Phase) – यह ठोस या तरल हो सकती है, जिस पर मिश्रण रखा जाता है।
- गतिशील अवस्था (Mobile Phase) – यह एक तरल या गैस होती है, जो मिश्रण को स्थिर अवस्था के माध्यम से प्रवाहित करती है।
जब मिश्रण को गतिशील अवस्था के साथ प्रवाहित किया जाता है, तो उसके विभिन्न अवयव अलग-अलग गति से चलते हैं, जिससे वे अलग हो जाते हैं। क्रोमैटोग्राफी का उपयोग रसायन विज्ञान, औषधि निर्माण, खाद्य परीक्षण और फॉरेंसिक विज्ञान में किया जाता है।
मुख्य भाग:
- सॉल्वेंट (Solvent) – वह तरल जो मिश्रण को अलग करने के लिए इस्तेमाल होता है।
- क्रोमैटोग्राफी पेपर – जिस पर मिश्रण लगाया जाता है।
- ओरिजिनल स्पॉट (Original Spot) – मिश्रण का शुरुआती बिंदु, जहाँ सैंपल डाला जाता है।
- सेपरेटेड कंपोनेंट्स (Separated Components) – विभिन्न अवयव जो अलग-अलग ऊँचाई पर दिखाई देते हैं।
- सॉल्वेंट फ्रंट (Solvent Front) – वह बिंदु जहाँ तक सॉल्वेंट ऊपर चढ़ चुका होता है।
कैसे काम करता है?
- मिश्रण को क्रोमैटोग्राफी पेपर पर एक बिंदु के रूप में लगाया जाता है।
- पेपर को सॉल्वेंट में डुबोया जाता है, और जैसे-जैसे सॉल्वेंट ऊपर जाता है, वह मिश्रण के अलग-अलग अवयवों को अलग करता जाता है।
- हल्के और घुलनशील अवयव ऊँचाई तक चले जाते हैं, जबकि भारी अवयव नीचे ही रहते हैं।

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