टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) – संक्षिप्त व्याख्या
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) वे पौधे हैं जो संवहनी ऊतक (Vascular Tissues - जाइलम और फ्लोएम) से युक्त होते हैं, लेकिन इनमें बीज नहीं बनते। ये पादप जगत (Plant Kingdom) के पहले ऐसे पौधे हैं जिनमें जड़, तना और पत्तियाँ पाई जाती हैं।
1. टेरिडोफाइटा की विशेषताएँ:
✅ संवहनी पौधे (Vascular Plants) – इनमें जल और पोषक तत्वों के परिवहन के लिए जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) होते हैं।
✅ सजीव जड़, तना और पत्तियाँ – इनमें वास्तविक जड़, तना और पत्तियाँ होती हैं।
✅ बीज रहित पौधे – ये बीज नहीं बनाते, बल्कि स्पोर (बीजाणु) द्वारा प्रजनन करते हैं।
✅ आर्द्र स्थानों पर उगते हैं – ये नमी वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
✅ जीवन चक्र में द्विआवृत्ति (Alternation of Generations) – इनमें स्पोरॉफाइट (Sporophyte) प्रमुख अवस्था होती है और गैमेटोफाइट (Gametophyte) कम विकसित होता है।
✅ प्रजनन के लिए जल आवश्यक – नर युग्मक (Sperm) जल में तैरकर मादा युग्मक (Egg) तक पहुँचता है।
2. टेरिडोफाइटा के उदाहरण:
📌 फ़र्न (Fern) – जैसे नेफ्रोलेपिस (Nephrolepis), ड्रायोप्टेरिस (Dryopteris)
📌 हॉर्सटेल (Horsetail) – जैसे इक्विसेटम (Equisetum)
📌 लाइकोपोडियम (Lycopodium) – छोटे, जमीन पर फैलने वाले पौधे
📌 सिलेजिनेला (Selaginella) – सूखे क्षेत्रों में उगने वाला पौधा
3. टेरिडोफाइटा का महत्व:
🌱 मिट्टी संरक्षण – जड़ों की वजह से मिट्टी कटाव से बचती है।
🌱 फर्न पौधों का उपयोग – सजावटी पौधों के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
🌱 औषधीय महत्व – कुछ टेरिडोफाइटा पौधे आयुर्वेदिक और पारंपरिक दवाओं में प्रयोग होते हैं।
🌱 ईंधन और खाद – कुछ प्राचीन टेरिडोफाइटा पौधे कोयले के रूप में परिवर्तित हो चुके हैं।
निष्कर्ष:
टेरिडोफाइटा संवहनी बीजाणु-धारी पौधे हैं जो बीज नहीं बनाते लेकिन जल और पोषक तत्वों का परिवहन कर सकते हैं। ये विकासवादी दृष्टि से पादप जगत में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। 🌿✨
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